Drug smuggling in Punjab
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Editorial: पंजाब में नशा तस्करी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई समय की मांग

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Drug smuggling in Punjab

Strict action against drug trafficking in Punjab is the need of the hour: पंजाब में जब यह कहा जाता है कि राजनेता और पुलिस मिलकर प्रदेश में नशे के धंधे को आगे बढ़ा रहे हैं तो यह आरोप ऐसे ही नहीं लगाया जाता। मोहाली जिले के खरड़ में कांग्रेस की एक पूर्व विधायक के नशे की खेप बेचने के आरोप में गिरफ्तारी यह बताने को काफी है कि यह आरोप सच्चे हैं। इन पूर्व विधायक के आवास से भी नशा, ड्रग मनी और गाड़ियां बरामद की गई हैं। इसके अलावा घर से जाली नंबर प्लेट भी मिली हैं। यह सब कितने समय से चल रहा था, यह जांच का विषय है, लेकिन एक पूर्व विधायक की गिरफ्तारी यह बताने को काफी है कि संभव है कुछ मौजूदा जनप्रतिनिधि भी इस काले धंधे में संलिप्त हों।

पंजाब में मान सरकार ने नशे पर लगाम कसने के लिए बेहद सख्ती की है और पूर्व विधायक की गिरफ्तारी को इसी दिशा में देखा जाना चाहिए। हालांकि इस एक मामले के उजागर होने से ज्यादा कुछ नहीं होने वाला है और ऐसी सख्ती को और बढ़ाते हुए नशे के खिलाफ जंग को उसके परिणाम तक पहुंचाना चाहिए। राज्य में जहां नशा तस्करी लगातार जारी है, वहीं इसके सेवन से जान जाने के मामले भी बराबर आ रहे हैं।

गौरतलब है कि पंजाब में सरकार ने नशा तस्करों पर नकेल कसने के लिए उनकी संपत्ति जब्त करने जैसी कार्रवाई समय की मांग है। आजकल देशभर में नशाखोरी और नशे का खरीद-फरोख्त जिस प्रकार से बढ़ रही है, वह जनसामान्य को इसकी लत लगा रही है। पंजाब में नशाखोरी हद दर्जे तक बढ़ चुकी है और गांव-देहात एवं शहरों में बड़ी तादाद में इसके पीड़ित युवा एवं लोग मिल रहे हैं। बीते समय में राज्य सरकारों की ओर से नशे के खिलाफ कदम उठाए जाते रहे हैं,  लेकिन इतने प्रभावी तरीके से कभी कार्रवाई नहीं की गई। अब आम आदमी पार्टी की सरकार ने अगर इसका साहस दिखाया है तो यह काबिले तारीफ है। उत्तर प्रदेश वह पहला राज्य है, जिसने गैंगस्टर, अपराधियों और नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्ति पर बुलडोजर चलाए हैं। इस कार्रवाई की आलोचना भी हुई है। हरियाणा में भी सरकार की ओर से ऐसी ही कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। बीते दिनों विधानसभा के शीत सत्र में यह मामला पुरजोर तरीके से उठाया गया था, लेकिन सरकार ने अपनी कार्रवाई को सही ठहराया था।

पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान यह बेहतर तरीके से समझते हैं कि नशे का जाल किस कदर फैला हुआ है। इसे तोड़ने के लिए पुलिस प्रणाली को संगठित किए जाने की जरूरत है। राज्य में नशे के कारोबार को राजनीतिक संरक्षण भी हासिल है। अपने फायदे के लिए युवाओं को इस नर्क में धकेल चुके राजनीतिक साफ बच निकलते हैं, लेकिन फंसते हैं तो बेकसूर युवा। ऐसे में नशा तस्करों की रीढ़ तोड़ने के लिए सरकार की ओर से कठोर कार्रवाई जरूरी है। नशे के धंधे से इसके सौदागर बड़ी-बड़ी संपत्ति बनाकर बैठे हैं, बेशक उन पर केस चल रहे हों, लेकिन किसी को भी ऐसी कड़ी सजा नहीं मिलती कि उन्हें सबक मिल सके।

ऐसे में मुख्यमंत्री भगवंत मान के पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश कि अगर नशा तस्करों की संपत्ति जब्त करने के लिए कानून में संशोधन की जरूरत पड़े तो उसे फौरन अमल में लाया जाए, अपने आप में अहम घटनाक्रम है। पुलिस के पास उन नशा तस्करों का पूरा ब्यौरा होगा, जोकि इस कार्य में लिप्त हैं, लेकिन न पुलिस का मन ऐसे अपराधियों पर हाथ डालने का होता है और न ही राजनीतिक इच्छाशक्ति सामने आती है। कहते हैं कि किसी थाने का दरोगा अगर यह सोच ले कि उसके थाने के दायरे में कोई अपराध नहीं होगा तो यह सच भी हो सकता है। पुलिस चाहे तो कोई अपराध के बारे में सोचेगा तक नहीं। राज्य सरकार की भी मंशा अपराध को खत्म करने की हो जाए तो फिर पुलिस को अपनी कमर कसनी ही होगी।

 मुख्यमंत्री मान की यह चेतावनी जरूरी है कि किसी भी जिले के पुलिस अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में अगर नशा बिकता हुआ पाया जाता है तो इस कोताही के लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे। उन्होंने नशा तस्करी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। वास्तव में पंजाब की जनता को अब नशे के खिलाफ बुलंद आवाज उठानी होगी। राज्य में युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है और हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठा जा सकता। सरकार ने खुद आह्वान किया है कि गांवों के लोग अपने-अपने गांव को नशा मुक्त बनाने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करने को यकीनी बनाएं। 

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